शनिवार, 7 मार्च 2015

कर्मों  का हिसाब  है जिन्दगी...

एक बन्दे  ने पूछा क्या है  " जिन्दगी  "

दूसरे बन्दे  ने खूबसूरत  जवाब दिया

ना सुख जिन्दगी  ,

ना दुख जिन्दगी  ,

ना गम जिन्दगी  ,

ना खुशी  जिन्दगी  ,

अपने -अपने  कर्मों  का हिसाब  है

जिन्दगी.............।

पतंग की डोर

बाप पतंग उड़ा रहा था  बेटा ध्यान से देख रहा था

थोड़ी देर बाद बेटा बोला पापा ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है इसे तोड़ दो

बाप ने धागा तोड़ दिया

पतंग थोडा सा और ऊपर गई और उसके बाद निचे आ गई

तब बाप ने बेटे को समझाया

बेटा जिंदगी में हम जिस उचाई पर है,
     हमें अक्सर लगता है ,
       की कई चीजे हमें
          और ऊपर
           जाने से 
         रोक रही है,
जैसे
            घर,
          परिवार,
        अनुशासन,
           दोस्ती,

और हम उनसे आजाद होना चाहते है,
मगर यही चीज होती है
जो हमें उस उचाई पर बना के रखती है.

उन चीजो के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे
मगर
बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो पतंग का हुआ.

इसलिए जिंदगी में कभी भी
          अनुशासन का,
           घर का ,
           परिवार का,
           दोस्तों का,
     रिश्ता कभी मत तोड़ना

क,ख,ग क्या कहता है

क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें...
क - क्लेश मत करो
ख- खराब मत करो
ग- गर्व ना करो
घ- घमण्ड मत करो
च- चिँता मत करो
छ- छल-कपट मत करो
ज- जवाबदारी निभाओ
झ- झूठ मत बोलो
ट- टिप्पणी मत करो
ठ- ठगो मत
ड- डरपोक मत बनो
ढ- ढोंग ना करो
त- तैश मे मत रहो
थ- थको मत
द- दिलदार बनो
ध- धोखा मत करो
न- नम्र बनो
प- पाप मत करो
फ- फालतू काम मत करो
ब- बिगाङ मत करो
भ- भावुक बनो
म- मधुर बनो
य- यशश्वी बनो
र- रोओ मत
ल- लोभ मत करो
व- वैर मत करो
श- शत्रुता मत करो
ष- षटकोण की तरह
स - सच बोलो
ह- हँसमुख रहो
क्ष- क्षमा करो
त्र- त्रास मत करो
ज्ञ- ज्ञानी बनो !!

कर्म भूमि की दुनिया में

"शादी"करंट" के तार की तरह होती हैं.
सही जुड़ जाये तो
सारा जीवन "रोशन"
और गलत जुड़ जाये तो
"जिंदगी" भर "झटके...............।

आपको कोई अच्छा
इंजीनियर मिले
तो बताना,
मुझे इंसान से इंसान
को जोड़ने वाला पुल
बनाना है
बहते आंसुओ को रोकने
वाला बांध बनाना है
और
सच्चे संबंधो में पड़ती
दरारो को भरवाना है...................।

मुस्कान थके हुए के लिए विश्राम है, उदास के लिए दिन का प्रकाश है तथा कष्ट के लिए प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है................।

कर्म भूमि की दुनिया में,
श्रम सभी को करना पड़ता है,
भगवान सिर्फ लकीरें देता है,
रंग हमें ही भरना पड़ता है.............।

बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो................।

धीमे से मेरे कान में आ,
गम ने ये कहा ,
मैने तुम्हे शायर बनाया ,अब तो खुश रहो.....

बुधवार, 4 मार्च 2015

आर्ट ऑफ़ लाइफ

विवाहित होना
"पार्ट ऑफ़ लाइफ " है ...
और....
विवाहित हो कर भी
मुस्कुरा कर शांति से जीना
"आर्ट ऑफ़ लाइफ "है...

गुणवान व्यक्ति

फलदार पेड़ और गुणवान व्यक्ति ही झुकते है,
सुखा पेड़ और मुर्ख व्यक्ति कभी नहीं झुकते ।
कदर किरदार की होती है
… वरना…
कद में तो साया भी इंसान से बड़ा होता है..!!

दान

दुनिया मे " दान " जैसी
कोई " संपति " नही
" लालच " जैसा कोई और
        " रोग " नही
अच्छे " स्वभाव " जैसा
कोई " आभुषण " नही
           और
" संतोष " जैसा और
कोई " सुख " नही

ये एक पन्ना था अभी तो किताब बाकी है..

कई जीत बाकी हैं .. कई हार
बाकी हैं..
अभी तो जिंदगी का सार
बाकी है..
यंहा से चले हैं नयी मज़िल के लिए ..
ये एक पन्ना था अभी तो किताब बाकी है..

Absolute Classic

Heated gold is called ornaments
Beated copper is called wire
Compressed carbon is called diamond.
Heated,beated and compressed human is called HUSBAND.

मंगलवार, 3 मार्च 2015

अभिमान का त्याग

      सुविचार      
जब तक मन में अभिमान होता है, ज्ञान पाना मुश्किल होता है।
अभिमान का त्याग कीजिए ।

रविवार, 1 मार्च 2015

दुनिया में तीन बातें


तीन चीजों में मन लगाने से उन्नति होती है -
ईश्वर, परिश्रम और विद्या।
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Ⓜ•√. तीन चीजों को कभी छोटी ना समझे -
बिमारी, कर्जा और शत्रु।
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Ⓜ•√. तीनों चीजों को हमेशा वश में रखो -
मन, काम और लोभ।
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•Ⓜ√. तीन चीज़ें निकलने पर वापिस नहीं आती -
तीर कमान से, बात जुबान से और प्राण शरीर से।
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Ⓜ•√. तीन चीज़ें कमज़ोर बना देती है -
बदचलनी, क्रोध और लालच।
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Ⓜ•√. तीन चीज़ें कोई चुरा नहीं सकता -
अकल, चरित्र और हुनर।
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•Ⓜ√. तीन व्यक्ति वक़्त पर पहचाने जाते हैं -
स्त्री, भाई और दोस्त।
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Ⓜ•√. तीनों व्यक्ति का सम्मान करो -
माता, पिता और गुरु।
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Ⓜ•√. तीनों व्यक्ति पर सदा दया करो -
बालक, भूखे और पागल।
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•Ⓜ√. तीन चीज़े कभी नहीं भूलनी चाहिए -
कर्ज़, मर्ज़ और फर्ज़।
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Ⓜ•√. तीन बातें कभी मत भूलें -
उपकार, उपदेश और उदारता।
Ⓜ•√. तीन चीज़े याद रखना ज़रुरी हैं -
सच्चाई, कर्तव्य और मृत्यु।
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Ⓜ•√. तीन बातें चरित्र को गिरा देती हैं -
चोरी, निंदा और झूठ।
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Ⓜ•√. तीन चीज़ें हमेशा दिल में रखनी चाहिए -
नम्रता, दया और माफ़ी।
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•√. तीन चीज़ों पर कब्ज़ा करो -
ज़बान, आदत और गुस्सा।
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•√Ⓜ. तीन चीज़ों से दूर भागो -
आलस्य, खुशामद और बकवास।
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•√Ⓜ. तीन चीज़ों के लिए मर मिटो -
धेर्य, देश और मित्र।
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•√Ⓜ. तीन चीज़ें इंसान की अपनी होती हैं -
रूप, भाग्य और स्वभाव।
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•√Ⓜ. तीन चीजों पर अभिमान मत करो –
धन, ताकत और सुन्दरता।
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•Ⓜ√. तीन चीज़ें अगर चली गयी तो कभी वापस नहीं आती -
समय, शब्द और अवसर।
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Ⓜ•√. तीन चीज़ें इन्सान कभी नहीं खो सकता -
शान्ति, आशा और ईमानदारी।
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Ⓜ•√. तीन चीज़ें जो सबसे अमूल्य है -
प्यार, आत्मविश्वास और सच्चा मित्र।

राधा मोहन संवाद

राधा ने पूछा मोहन से :- तुम्हें सब लोग चोर
क्यों कहते हैं ?
मोहन जी बोले :- राधे, मैं चोर हूँ, तभी तो लोग
कहते हैं I
राधा जी ने फिर पूछा :- तुम क्या - क्या चुराते
हो ?
कान्हा जी बोले :- तो फिर सुनो, जब मैं
छोटा था तब मैं सब का मन चुराया करता था I
फिर थोड़ा बड़ा हुआ तो मैं माखन चुराने
लगा जब थोड़ा और बड़ा हुआ तो मैंने
गोपिओं के वस्त्र चुराये I
उस के बाद मैं भक्तों के प्यार में ऐसा हो गया,
की मैंने एक नए तरह की चोरी शुरू कर दी I
राधा जी बोली :- कैसी चोरी ?
कान्हा जी ने बड़ा अच्छा जवाब दियi :- आज
कल मैं अपने भक्तों के पाप भी चुरा लेता हूँ I
राधा जी बोली :- कहाँ है यह भक्त ?
कान्हा जी बोले :- एक तो इस मैसेज को भेज
चुका, दूसरा इसे पढ़ रहा है

जय श्री राधे कृष्ण

हमेशा ब्रान्डेड चीजो का ही ईस्तमाल करें

होठों के लिये " सत्य "
आवाज के लिये " प्रार्थना"
आंखो के लिये " दया"
हाथों के लिये " दान "
ह्दय के लिये ".प्रेम"
और
चहेरे के लिये " हँसी ".

नीयत

नीयत कितनी भी अच्छी हो, दुनिया
आपको आपके दिखावे से जानती है,
और दिखावा कितना भी अच्छा हो
उपरवाला आपको नीयत से जानता है

माँ बाप

किसी ने रोज़ा रखा और किसी ने उपवास रखा..
कबूल होगा उसी का जिसने अपने  माँ बाप को अपने पास रखा..

शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

सुख का अर्थ


  सुख का अर्थ केवल कुछ पा लेना नहीं अपितु जो है उसमे संतोष कर लेना भी है। जीवन में सुख तब नहीं आता जब हम ज्यादा पा लेते हैं बल्कि तब भी आता है जब ज्यादा पाने का भाव हमारे भीतर से चला जाता है।

 सोने के महल में भी आदमी दुखी हो सकता है यदि पाने की इच्छा समाप्त नहीं हुई हो और झोपड़ी में भी आदमी परम सुखी हो सकता है यदि ज्यादा पाने की लालसा मिट गई हो तो। असंतोषी को तो कितना भी मिल जाये वह हमेशा अतृप्त ही रहेगा।

सुख बाहर की नहीं, भीतर की संपदा है। यह संपदा धन से नहीं धैर्य से प्राप्त होती है। हमारा सुख इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने धनवान है अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि है कि कितने धैर्यवान हैं। सुख और प्रसन्नता आपकी सोच पर निर्भर करती है।