माला तो कर मे फिरे, जीभि फिरे मुख माहि।
मनुवा तो दसुं दिसी फिरे, यह तो सुमिरन नाहि।।
भावार्थ
रहीम कहते है कि भगवत स्मरण करते समय व्यक्ति हाथ
में माला के मनके फेरता है परन्तुु उसका मन तो दसों दिशाओं में फिरता है अर्थात प्रभु स्मरण के समय भी मन सांसारिक कार्यों में लगा रहता है
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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015
माला तो कर मे फिरे
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Mala to kar Mein Phire Phire mukhya Mahi Manva to Fir yah To sumiran Nahin
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