रविवार, 9 अगस्त 2015

राधाजी कृष्ण संवाद

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एक बार राधाजी ने कृष्ण से पूछा: गुस्सा क्या हैं..?
बहुत खुबसूरत जवाब मिला: किसी की गलती की सजा खुद को देना..!

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एक बार राधा ने कृष्ण से पूछा: दोस्त और प्यार में क्या फर्क होता हैं?
कृष्ण हँस कर बोले: प्यार सोना हैं.. और दोस्त हीरा.. सोना टूट कर दुबारा बन सकता हैं.. मगर हीरा नहीं..!

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एक बार राधाजी ने कृष्णजी से पूछा: मैं कहाँ हूँ..?
कृष्ण ने कहा: तुम मेरे दिल में.. साँस में.. जिगर में.. धड़कन में.. तन में.. मन में.. हर जगह हो..!
फिर राधाजी ने पूछा: मैं कहाँ नहीं हूँ..?
तो कृष्ण ने कहा: मेरी किस्मत..!

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राधा ने श्रीकृष्ण से पूछा: प्यार का असली मतलब क्या होता हैं..?
श्रीकृष्ण ने हँस कर कहा: जहाँ मतलब होता हैं.. वहाँ प्यारही कहाँ होता हैं..!

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एक बार राधाने कृष्ण से पूछा: आपने मुझसे प्रेम किया.. लेकिन शादी रुक्मिणी से की.. ऐसा क्यों..?
कृष्ण ने हँसते हुए कहा: राधे... शादी में दो लोग चाहिये....और हम तो एक हैं

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: बहुत अच्छे विचार
जरुर पढ़े

नज़र और नसीब का
कुछ ऐसा इत्तफाक हैं
कि
नज़र को अक्सर वही
चीज़ पसंद आती हैं
जो नसीब में नहीं होती

और
नसीब में लिखी चीज़
अक्सर नज़र नहीं आती है

मैंने एक दिन
भगवान से पूछा
आप मेरी दुआ
उसी वक्त
क्यों नहीं सुनते हो
जब मैं
आपसे मांगता हूँ

भगवान ने
मुस्कुरा कर के कहा
मैं तो आप के
गुनाहों की सजा भी
उस वक्त नहीं देता
जब आप करते हो

किस्मत तो पहले ही
लिखी जा चुकी है
तो कोशिश करने से
क्या मिलेगा

क्या पता
किस्मत में लिखा हो
कि
कोशिश से ही मिलेगा

ज़िन्दगी में
कुछ खोना पड़े
तो यह
दो लाइन याद रखना

जो खोया है
उसका ग़म नहीं

लेकिन

जो पाया है
वह किसी से कम नहीं

जो नहीं है
वह एक ख्वाब हैं

और

जो है
वह लाजवाब है

इन्सान कहता है कि
पैसा आये तो
हम कुछ करके दिखाये

और
पैसा कहता हैं कि
आप कुछ करके दिखाओ
तो मैं आऊ

बोलने से पहले
लफ्ज़ आदमी के
गुलाम होते हैं

लेकिन
बोलने के बाद इंसान
अपने लफ़्ज़ों का गुलाम
बन जाता हैँ

ज्यादा बोझ लेकर
चलने वाले
अक्सर डूब जाते हैं

फिर चाहे वह
अभिमान का हो
या
सामान का

जिन्दगी जख्मों
से भरी है
वक़्त को मरहम
बनाना सीख लो

हारना तो है
मौत के सामने
फ़िलहाल जिन्दगी से
जीना सीख लो

3 टिप्‍पणियां:

  1. ज़िन्दगी जीने का मकसद
    ज़िन्दगी जीने का मकसद खास होना चाहिए;
    और अपने आप पर विश्वास होना चाहिए;

    जीवन में खुशियों की कोई कमी नहीं होती;
    बस जीने का अंदाज़ होना चाहिए।

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    उत्तर
    1. ज़िन्दगी जीने का मकसद
      ज़िन्दगी जीने का मकसद खास होना चाहिए;
      और अपने आप पर विश्वास होना चाहिए;

      जीवन में खुशियों की कोई कमी नहीं होती;
      बस जीने का अंदाज़ होना चाहिए।

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