मंगलवार, 31 मार्च 2015

भक्ति के रूप


भक्ति जब भोजन में प्रवेश करती है,
भोजन 'प्रसाद' बन जाता है।
भक्ति जब भूख में प्रवेश करती है,
भूख 'व्रत' बन जाती है।
भक्ति जब पानी में प्रवेश करती है,
पानी 'चरणामृत' बन जाता है।
भक्ति जब सफर में प्रवेश करती है,
सफर 'तीर्थयात्रा' बन जाता है।
भक्ति जब संगीत में प्रवेश करती है,
संगीत 'कीर्तन' बन जाता है।
भक्ति जब घर में प्रवेश करती है,
घर 'मन्दिर' बन जाता है।
भक्ति जब कार्य में प्रवेश करती है,
कार्य 'कर्म' बन जाता है।
भक्ति जब क्रिया में प्रवेश करती है,
क्रिया 'सेवा' बन जाती है।
और...
भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है,
व्यक्ति 'मानव' बन जाता है।

शब्दों के दांत नहीं होते है


शब्दों के दांत नहीं होते है
      लेकिन शब्द जब काटते है  
        तो दर्द बहुत होता है
और   
कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की
              जीवन समाप्त  हो जाता है
                परन्तु घाव नहीं भरते.............

इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों

'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे,
'शब्द' के हाथ न पांव;

एक 'शब्द' 'औषधि" करे,
और एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!

"जो 'भाग्य' में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!

प्रभू' को भी पसंद नहीं
'सख्ती' 'बयान' में,
इसी लिए 'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,

एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना।

और....

जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो,
किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।

जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो,
एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना।

और….

जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो,
अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना।

जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.

दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं...  
  क्योकि वो कठोर होते है।

छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर
बड़ी रहमत...
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार
देती है..
किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
ज़िन्दगी बदल देती हैं.।।

"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।

विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।

साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।

किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।

एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"

रविवार, 29 मार्च 2015

मोती फाट्यो बींदतां


मोती फाट्यो बींदतां, मन फाट्यो
एक बोल।
मोती फेर मगावसां, मनङो मिले न मोल।।

भावार्थ
मुक्तामणि में गूंथते समय मोती
तो पिरोये जाने से फट जाता है परन्तु मन तो केवल एक कटु  
बोल से ही तार तार हो जाता है
मोती तो फटने पर हम दूसरा भी
खरीद ला सकते हैं मगर कङवे बोल से टूटा हूआ मन मोल नहीं
मिलता है अर्थात एक बार किसी
की कही बात पर मन टूट गया तो फिर उसका कोई उपचार शेंष
नहीं रहता। अतः हमें कङवे वचन कहने से बचना चाहिये।                                    

शनिवार, 28 मार्च 2015

मिट्टी की इच्छा

एक कुम्हार माटी से चिलम बनाने जा रहा था।
उसने चिलम का आकर दिया।थोड़ी देर में उसने
चिलम को बिगाड़ दिया।माटी ने पुछा ,अरे
कुम्हार तुमने चिलम अच्छी बनाई फिर बिगाड़
क्यों दिया?कुम्हार ने कहा कि अरे माटी पहले मैं
चिलम बनाने की सोच रहा था किन्तु
मेरी मति बदली और अब मैं सुराही या फिर
घड़ा बनाऊंगा।
ये सुनकर माटी बोली,रे
कुम्हार
तेरी तो मति बदली मेरी तो जिंदगी ही बदल
गयी।चिलम बनती तो स्वयं भी जलती और
दूसरों को भी जलाती,अब
सुराही बनूँगी तो स्वयम भी शीतल रहूँगी और
दूसरों को भी शीतल रखूंगी।
यदि जीवन में हम
सभी सही फैसला लें तो हम स्वयम भी खुश रहेंगे एवं
दूसरों को भी खुशियाँ दे सकेंगे

जैसी जाकी बुध्दि


जैसी जाकी बुध्दि है, तैसी कहै बनाय।
ताको बुरो न मानिए, लेन कहाँ सो जाय।।
भावार्थ
रहीम कहते हैं कि जैसी जिसकी बुध्दि होती है वह वैसी बात
करता है अर्थात सज्जन लोग सभी को शीतलता दे ऐसी करते हैं तो कुटील पुरूष की बोली कुटीलता लिये होती है हमें ऐसे व्यक्तियों का बुरा नहीं मानना
चाहिये क्योकिं सद् वचन तो ह्रदय से प्रस्फुटित होते है उन्हें
लेने कहीं जाना थोङे ही पङता है                                               

शुक्रवार, 27 मार्च 2015

सपने और अपने

  जीवन  में  सपनों  के  लिए
             कभी  अपनों  से  दूर  मत
             होना l

      क्योंकि  अपनों  के  बिना
             जीवन  में  सपनों  का
             कोई  मोल  नहीं।........
   

गुरुवार, 26 मार्च 2015

दुःख ऑटो-अपडेट नही

दुःख ऑटो-अपडेट नहीं
फिर भी डाउनलोड हो जाता है....

सुख में वायरस नहीं
फिर भी हैंग हो जाता है...

फीलिंग का मेमरीकार्ड नहीं
फिर भी स्टोरेज हो जाती है...

रिलेशनशिप मे कैमरा नहीं
फिर भी सेल्फ़ी हो जाता है...

जिंदगी वोट्सऍप नहीं
फिर भी लास्ट सीन हो जाती है....

इंसान मोबाइल नहीं
फिर भी बदल जाता है....

उत्तम जन की होङ करि


उत्तम जन की होङ करि, नीच न होत रसाल।
कौवा कैसे चल सके, राजहंस की चाल।। 
भावार्थ
उत्तम प्रकृति के लोगों से होङ करके नीच प्रकृति का व्यक्ति कभी भी श्रेष्ठ गुणों को धारण नहीं कर सकता जिस प्रकार कौवा कितनी भी अच्छी चाल चले वह राजहंस की चाल नहीं चल पाता।
                                     

जीवन का उद्देश्य

        "ये ही सत्य हैं"
Qus→ जीवन का उद्देश्य क्या है ?
Ans→ जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है - जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है..!!

Qus→ जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है ?
Ans→ जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया - वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है..!!

Qus→संसार में दुःख क्यों है ?
Ans→लालच, स्वार्थ और भय ही संसार के दुःख का मुख्य कारण हैं..!!

Qus→ ईश्वर ने दुःख की रचना क्यों की ?
Ans→ ईश्वर ने संसारकी रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की..!!

Qus→ क्या ईश्वर है ? कौन है वे ? क्या रुप है उनका ? क्या वह स्त्री है या पुरुष ?
Ans→ कारण के बिना कार्य नहीं। यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है। तुम हो, इसलिए वे भी है - उस महान कारण को ही आध्यात्म में 'ईश्वर' कहा गया है। वह न स्त्री है और ना ही पुरुष..!!

Qus→ भाग्य क्या है ?
Ans→हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है। परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है तथा आज का प्रयत्न ही कल का भाग्य है..!!

Qus→ इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?
Ans→ रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं और उसे सभी देखते भी हैं, फिर भी सभी को अनंत-काल तक जीते रहने की इच्छा होती है..
इससे बड़ा आश्चर्य ओर क्या हो सकता है..!!

Qus→किस चीज को गंवाकर मनुष्य
धनी बनता है ?
Ans→ लोभ..!!

Qus→ कौन सा एकमात्र उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है?
Ans → अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है..!!

Qus → किस चीज़ के खो जाने
पर दुःख नहीं होता ?
Ans → क्रोध..!!

Qus→ धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है ?
Ans → दया..!!

Qus→क्या चीज़ दुसरो को नहीं देनी चाहिए ?
Ans→ तकलीफें, धोखा..!!

Qus→ क्या चीज़ है, जो दूसरों से कभी भी नहीं लेनी चाहिए ?
Ans→ इज़्ज़त, किसी की हाय..!!

Qus→ ऐसी चीज़ जो जीवों से सब कुछ करवा सकती है ?
Ans→मज़बूरी..!!

Qus→ दुनियां की अपराजित चीज़ ?
Ans→ सत्य..!!

Qus→ दुनियां में सबसे ज़्यादा बिकने वाली चीज़ ?
Ans→ झूठ..!!

Qus→ करने लायक सुकून का
कार्य ?
Ans→ परोपकार..!!

Qus→ दुनियां की सबसे बुरी लत ?
Ans→ मोह..!!

Qus→ दुनियां का स्वर्णिम स्वप्न ?
Ans→ जिंदगी..!!

Qus→ दुनियां की अपरिवर्तनशील चीज़ ?
Ans→ मौत..!!

Qus→ ऐसी चीज़ जो स्वयं के भी समझ ना आये ?
Ans→ अपनी मूर्खता..!!

Qus→  दुनियां में कभी भी नष्ट/ नश्वर न होने वाली चीज़ ?
Ans→ आत्मा और ज्ञान..!!

Qus→ कभी न थमने वाली चीज़ ?
Ans→ समय..!!

कौन बड़ा - लक्ष्मी या विष्णु

विष्णु जी और लक्ष्मीजी संवाद :-

लक्ष्मी जी : सारा संसार पैसे (मेरे) से चल रहा है, अगर मैं नहीं तो कुछ नहीं.,

विष्णु जी (मुस्कुरा के) :- सिद्ध करके दिखाओ.?

लक्ष्मी जी ने पृथ्वी पर एक शवयात्रा का दृश्य दिखाया - जिसमे लोग शव पर पैसा फेंक रहे थे, कुछ लोग उस पैसे को लूट रहे थे, तो कुछ बटोर रहे थे, तो कोई छीन रहा था।

लक्ष्मी जी :- देखा ..... कितनी कीमत है पैसों की..?

विष्णु जी:- परन्तु लाश नहीं उठी पैसे उठाने के लिए.?

लक्ष्मी जी:- अरे, लाश कैसे उठेगी वो तो मरी हुई है... बेजान है।

तब विष्णु जी ने बड़ा खूबसूरत जवाब दिया, बोले :-
जब तक मैं (प्राण) शरीर में हूं.. तब तक ही तेरी कीमत है।
और जैसे ही मैं शरीर से निकला.. तुम्हारी कोई कीमत नहीं है।।

बुधवार, 25 मार्च 2015

समय की क़ीमत

साल ..की कीमत उस से पूछो
जो फेल हुआ हो

महीने... ..की कीमत उस से पूछो
जिसको पिछले महीने तनख्वाह ना मिली हो

हफ्ते... ..की कीमत उस से पूछो
जो पूरा हफ्ते अस्पताल में रहा हो

दिन.. ..की कीमत उस से पूछो
जो सारा दिन से भूखा हो

घंटे.. ..की कीमत उस से पूछो
जिसने किसी का इंतज़ार किया हो

मिनट... ..की कीमत उस से पूछो
जिसकी ट्रेन एक मिनट पहले मिस हुई हो

सेकंड.. ..की कीमत उस से पूछो..जो दुर्घटना से बाल बाल बचा हो।

इसलिये हर पल का शुक्रिया करो ।

मंगलवार, 24 मार्च 2015

मन के समीकरण

शीष्य ने गुरु से कहा- गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिए गाय भेंट की है !
गुरू ने कहा-अच्छा हुआ दुध पीने को मीलेंगा !

एक सप्ताह बाद शीष्य ने आकर गुरू से कहा- गुरूजी ! जीस व्यक्ति ने गाय दी थी आज वह अपनी गाय वापस ले गया !
गुरू ने कहा अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झझंट से मुक्ती मीली ! ऐसा व्यक्ती जो हर हाल में राजी हो, उसे कोई दुख कभी दु:खी नही कर सकता !
परीस्थिति बदले तो मन:स्थीति बदल लो! बस दुख सुख में बदल जाएंगा! सुख-दुख  कुछ नही
दोनो मन के ही तो समीकरण है........!

सुमिरन करले मेरे मना


       

सुमिरन करले मेरे मना,
तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।

कूप नीर बिनु, धेनु छीर बिनु,
धरती मेह बिना ।
जैसे तरुवर फल बिन हीना,
तैसे ही प्राणी हरिनाम बिना ।

देह नैन बिनु, रैन चाँद बिनु,
मंदिर दीप बिना ।
जैसे पंडित वेद बिहीना,
तैसे ही प्राणी हरिनाम बिना ।

रहिमन ओछे नरन सो


रहिमन ओछे नरन सों, बैर भलो
ना प्रीति।
काटे चाटै स्वान के, दोऊ भाँति विपरीति।।
भावार्थ
रहीम कहते ओछे लोगो से न  प्रेम  व्यवहार अच्छा  न शत्रुता क्योंकि दोनों परस्थितीयों में वह हमें नुकसान ही पहूंचायेंगे उनका व्यवहार उस स्वान जैसा है जो खुश होकर चाटे तो भी खराब व नाराज हो काटे तो भी अहितकर
                                     

रविवार, 22 मार्च 2015

मनुष्य कितना मूर्ख है

मनुष्य कितना मूर्ख है |
प्रार्थना करते समय समझता है कि भगवान सब सुन रहा है,
पर निंदा करते हुए ये भूल जाता है।
पुण्य करते समय यह समझता है कि भगवान देख रहा है,
पर पाप करते समय ये भूल जाता है।
दान करते हुए यह समझता है कि भगवान सब में बसता है,
पर चोरी करते हुए ये भूल जाता है।
प्रेम करते हुए यह समझता है कि पूरी दुनिया भगवान ने बनाई है,
पर नफरत करते हुए ये भूल जाता है।
..और हम कहते हैं कि मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है।
क़दर किरदार की होती है,
वरना...
कद में तो साया भी
इंसान से बड़ा होता है......
             ♥♥♥♥♥

मंदिर भी क्या गज़ब की जगह है...

गरीब बाहर भीख मांगते हैं और अमीर अन्दर....
♥♥♥♥♥

DONATE EYES....

एक हॉस्पिटल के बाहर लिखी हुई बहुत ही सुंदर
लाईन.....

"अगर आप मरने के बाद भी सुंदर
लङकियाँ देखना चाहते हैं तो,....
".अपनी आँखें दान कर दीजिए"...

DONATE EYES....

इसी को ज़िंदगी कहते है


चलने वाले दोनों पैरों में कितना फ़र्क़ है,
एक आगे तो एक पीछे....
पर ना तो आगे वाले को अभिमान है
और ना पीछे वाले को अपमान,
क्योंकि उन्हें पता होता है कि
पल भर में ये बदलने वाला है ।।

इसी को ज़िंदगी कहते है ।।

गुरुवार, 19 मार्च 2015

रिश्ते में खटास

रिश्ते में..
खटास मत आने दो॥
"क्या फर्क पड़ता है,
हमारे पास कितने लाख,
कितने करोड़,
कितने घर,
कितनी गाड़ियां हैं,

खाना तो बस दो ही रोटी है।
जीना तो बस एक ही ज़िन्दगी है।

फर्क इस बात से पड़ता है,
कितने पल हमने ख़ुशी से बिताये,
कितने लोग हमारी वजह से खुशी से जीए।

लम्हे बेचकर

लम्हे बेचकर, पैसे तो आ गये ..

         अब बताओ...

किस दुकान पे ख़ुशी मिलेगी...!!

स्वारथ के सबहीं सग- दोहा अर्थ सहित


स्वारथ के सबहीं सगे, बिन स्वारथ कोउ नाहि।
सेवे पंछी सरस तरू निरस
भये उङ जाहि।।
भावार्थ
जब तक स्वार्थ सधता रहा है
सभी सगे संबंधी हमारे बने रहते हैं परन्तु बिना स्वार्थ तो अपने भी पराये बन जाते है जिस प्रकार वृक्ष जब तक रसदार हो पंछी उनका सेवन करते हैं नीरस होते ही अन्यत्र प्रस्थान कर जाते हैं 

चिंता विघन विनाशनी, कमलाशनी सगत ।
बीस हथी हंस वाहिनी, माता देहू सुमत।।

भूलना सीखो

छोटे थे, हर बात
भूल जाया करते थे
दुनिया कहती थी कि,
'याद करना सीखो'
बड़े हुए तो हर बात
याद रहती है,
दुनिया कहती है कि...
'भूलना सीखो'.

दूरियाँ

तब , माचिस की डिब्बी और धागे से बने फोन तो नकली थे पर दूरीयाँ नहीं थी

अब , फोन भी असली है और दूरीयाँ भी

धन थोरो इज्जत बङी


धन थोरो इज्जत बङी, कह रहीम का बात।
जैसे कुल की कुलवधू, चिथङन माँह समात।।
भावार्थ
रहीम कहते है जिनके पास चाहे धन संपति कम ही क्युं न हो लेकिन समाज में सम्मान अधिक हो उनकी बात ही कुछ और है जिस प्रकार शालीन घराने की कुलवधू फटे पुराने वस्त्रों में भी

अपनी कुलीनता बनाये  रखती है
चिंता विघन विनाशनी कमलासनी सगत
बीस हथी हंस वाहिनी माता देहू सुमत

बुधवार, 18 मार्च 2015

जो भाग्य में है

"जो भाग्य में है , वह
भाग कर आएगा,
जो नहीं है , वह
आकर भी भाग जाएगा...!"

यहाँ सब कुछ बिकता है ,
दोस्तों रहना जरा संभाल के ,
बेचने वाले हवा भी बेच देते है ,
गुब्बारों में डाल के ,

सच बिकता है , झूट बिकता है,
बिकती है हर कहानी ,
तीनों लोक में फेला है , फिर भी
बिकता है बोतल में पानी ,

कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस दिन खिलोगे ,
टूट कर बिखर्र जाओगे ,
जीना है तो पत्थर की तरह जियो;
जिस दिन तराशे गए ,
"भगवान" बन जाओगे....!!

"रिश्ता" दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,
"नाराजगी" शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!

सड़क कितनी भी साफ हो
"धुल" तो हो ही जाती है,
इंसान कितना भी अच्छा हो
"भूल" तो हो ही जाती है!!!

आइना और परछाई के
जैसे मित्र रखो क्योकि
आइना कभी झूठ नही बोलता और परछाई कभी साथ नही छोङती......

खाने में कोई 'ज़हर' घोल दे तो
एक बार उसका 'इलाज' है..
लेकिन 'कान' में कोई 'ज़हर' घोल दे तो,
उसका कोई 'इलाज' नहीं है।

"मैं अपनी 'ज़िंदगी' मे हर किसी को
'अहमियत' देता हूँ...क्योंकि
जो 'अच्छे' होंगे वो 'साथ' देंगे...
और जो 'बुरे' होंगे वो 'सबक' देंगे...!!

अगर लोग केवल जरुरत पर
ही आपको याद करते है तो
बुरा मत मानिये बल्कि
गर्व कीजिये क्योंकि "
मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है।"

मंगलवार, 17 मार्च 2015

पत्थर

एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर भी पथ्थर ही रहते है ..!!

एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये अपनी सुन्दरता त्याग देती है.......
और
वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए अपनी माँ को त्याग देता है .....

भूल

हम और हमारे ईश्वर,
दोनों एक जैसे हैं।

जो रोज़ भूल जाते हैं...

वो हमारी गलतियों को,
हम उसकी मेहरबानियों को।

"हार" चाहिए

जीवन में हर जगह
हम "जीत" चाहते हैं...

सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि
"हार" चाहिए।

क्योंकि

हम भगवान से
"जीत" नहीं सकते।

जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली 15 अद्भुत बातें


1.गुण - न हो तो रूप व्यर्थ है.

2. विनम्रता- न हो तो विद्या व्यर्थ   है.

3. उपयोग न आए तो धन व्यर्थ है.

4. साहस न हो तो हथियार व्यर्थ है.

5. भूख- न हो तो भोजन व्यर्थ है.

6. होश- न हो तो जोश व्यर्थ है.

7. परोपकार- न करने वालों का जीवन व्यर्थ है.

8. गुस्सा- अक्ल को खा जाता है.

9. अहंकार- मन को खा जाता है.

10. चिंता- आयु को खा जाती है.

11. रिश्वत- इंसाफ को खा जाती है.

12. लालच- ईमान को खा जाता है.

13. दान- करने से दरिद्रता का अंत हो जाता है.

14. सुन्दरता- बगैर लज्जा के
सुन्दरता व्यर्थ है..

15. सूरत- आदमी की कीमत उसकी सूरत से नहीं बल्कि सीरत यानी गुणों से लगानी चाहिये.

वक़्त

एक सुविचार

वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ.....

पर अपनों का पता चलता है,
वक़्त के साथ...

वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ,

पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ...!!!

ज़िन्दगी पल-पल ढलती है,

जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है...

शिकवे कितने भी हो हर पल,
फिर भी हँसते रहना...

क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है।

सोमवार, 16 मार्च 2015

ज्ञान की 3 बातें

ज्ञान की 3 बातें हमेशा याद रखना:

ज्ञान न• 1☝:

अगर कोई हमें अच्छा लगता है
तो अच्छा वो नहीं हम है....

और अगर कोई हमें बुरा लगता है तो बुरा वही है क्युकि हम तो अच्छे हैं ना....

ज्ञान न• 2✌:

ज़िंदगी से कोई चीज़ माँगो
तो ऐसे माँगो जैसे तुम्हारे बाप की थी...

और नहीं मिली तो कौनसी
तुम्हारे बाप की थी...

ज्ञान न• 3 ✌:

अगर कोई आपको देखकर दरवाज़ा बन्द कर देता है तो याद रखो...

कुण्ड़ी दोनो तरफ़ से होती है आप भी  बाहर से बन्द करके भाग जाओ....

गुलाब की खुशबू

एक बार किसी गुरू ने अपने शिष्य को उपदेश देते हुऐ कहा - बेटा एक गुलाब का फूल लो उसे पंसारी की दुकान पर ले जाओ और उसे घी पर रखो, गुड़ पर रखो किसी भी चीज पर रखो आखिर कार उसे सूॅघों तो वह कैसी - कैसी खुश्बू देगा........? शिष्य ने कहा गुरूजी - गुलाब को सूॅघोगे तो वह अपने चरित्र को नहीं छोड़ेगा। वह तो अपनी ही खुश्बू देगा, गुरू ने कहा एैसा बनकर ही संसार में रहना चाहिऐ, आप मिलेगें तो सबसे, पुत्र से, पुत्री, पति, माता- पिता सबसे मिलेंगे, पर व्यवहार एैसा रखिऐ कि अपने परम लक्ष्य को न भूलें, दुनिया में आऐ है तों दुनियादारी में तो रहना ही पड़ेगा। परंतु जिएं तो जिएं इस तरह कि ‘‘गुलाब होकर तेरी महक जमाना चाहे‘‘। 
सुप्रभात

शनिवार, 14 मार्च 2015

ईश्वर के फेसले

"ईश्वर के हर फेसले पे खुश रहो"
            क्युकि
"ईश्वर वो नही देता जो आपको   
      अच्छा लगता है"
             बल्की
"ईश्वर वो देता हे जो आपके
     लिये अच्छा होता है।
               ��सुप्रभात��
����GOOD MORNING����

अजीब बात है

कितनी अजीब बात है की --

जब हम गलत होते है तो समझौता चाहते हैं,
और दुसरे गलत होते है तो हम न्याय चाहते हैं..

खराब रिश्ते

रिश्ते खराब होने की एक
वजह ये भी है, 
कि लोग
अक्सर टूटना पसंद करते
है पर झुकना नहीं!..

निशुल्क पर बड़ी और बढ़िया चीजें


इस संसार में....
सबसे बड़ी सम्पत्ति "बुद्धि "
सबसे अच्छा हथियार "धेर्य"
सबसे अच्छी सुरक्षा "विश्वास"
सबसे बढ़िया दवा "हँसी" और...
आश्चर्य की बात कि...
ये सब निशुल्क हैं...!!!

शुक्रवार, 13 मार्च 2015

मन का द्वार


मंदिर शब्द का क्या अर्थ है ?
इस शब्द की रचना कैसे हुई?

मंदिर शब्द में 'मन' और 'दर' की संधि है
मन + दर
मन अर्थात मन
दर अर्थात द्वार
मन का द्वार तात्पर्य यह कि जहाँ हम अपने मन का द्वार खोलते हैं, वह स्थान मंदिर है।
म + न
म  अर्थात  मम = मैं
न अर्थात  नहीं
जहाँ मैं नहीं  !!
अर्थात जिस स्थान पर जाकर हमारा 'मैं' यानि अंहकार 'न' रहे  वह स्थान मंदिर है। सर्व विदित है कि ईश्वर हमारे मन में ही है, अत: जहाँ 'मैं' 'न' रह कर केवल ईश्वर हो वह स्थान मंदिर है

बुधवार, 11 मार्च 2015

शक्कर का गुण

    अगर गिलास दुध से भरा हुआ है तो आप उसमे और दुध नहीं डाल सकते । लेकिन आप उसमे शक्कर डाले । शक्कर अपनी जगह बना लेती है और अपना होने का अहसास दिलाती है उसी प्रकार अच्छे लोग हर किसी के दिल में अपनी जगह बना लेते हैं !
         

मंगलवार, 10 मार्च 2015

प्रभू की मेहेरबानी

एक खूबसूरत सोच :

अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया,
तो बेशक कहना,
जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी और जो भी पाया वो प्रभू की मेहेरबानी थी,
खुबसूरत रिश्ता है मेरा और भगवान के बीच में,
ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं.....

मुस्कुराओ

मुस्कुराओ....

क्योंकि यह मनुष्य होने की पहली शर्त है। एक पशु कभी भी नहीं मुस्कुरा सकता।

मुस्कुराओ.....

क्योंकि मुस्कान ही आपके चहरे का वास्तविक श्रंगार है।  मुस्कान आपको किसी बहुमूल्य आभूषण के अभाव में भी सुन्दर दिखाएगी।

मुस्कुराओ.....

क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।

मुस्कुराओ.....

क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।

मुस्कुराओ.....

क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते हैं।

मुस्कुराओ.....

क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।

मुस्कुराओ.....

कहीं आपको देखकर कोई किसी गलत फहमी में न पड़ जाए क्योंकि मुस्कराना जिन्दा होने की पहली शर्त भी है।

उबलते पानी मे मेंढक


अगर मेंढक को गर्मा गर्म उबलते पानी में डाल दें तो वो छलांग लगा कर बाहर आ जाएगा और उसी मेंढक को अगर सामान्य तापमान पर पानी से भरे बर्तन में रख दें और पानी धीरे धीरे गरम करने लगें तो क्या होगा ?

मेंढक फौरन मर जाएगा ?
जी नहीं....

ऐसा बहुत देर के बाद होगा...
दरअसल होता ये है कि जैसे जैसे पानी का तापमान बढता है, मेढक उस तापमान के हिसाब से अपने शरीर को Adjust करने लगता है।

        पानी का तापमान, खौलने लायक पहुंचने तक, वो ऐसा ही करता रहता है।अपनी पूरी उर्जा वो पानी के तापमान से तालमेल बनाने में खर्च करता रहता है।लेकिन जब पानी खौलने को होता है और वो अपने Boiling Point तक पहुंच जाता है, तब मेढक अपने शरीर को उसके अनुसार समायोजित नहीं कर पाता है, और अब वो पानी से बाहर आने के लिए, छलांग लगाने की कोशिश करता है।

          लेकिन अब ये मुमकिन नहीं है। क्योंकि अपनी छलाँग लगाने की क्षमता के बावजूद , मेंढक ने अपनी सारी ऊर्जा वातावरण के साथ खुद को Adjust करने में खर्च कर दी है।

          अब पानी से बाहर आने के लिए छलांग लगाने की शक्ति, उस में बची ही नहीं I वो पानी से बाहर नहीं आ पायेगा, और मारा जायेगा I

          मेढक क्यों मर जाएगा ?

          कौन मारता है उसको ?

          पानी का तापमान ?

          गरमी ?

          या उसके स्वभाव से ?

          मेढक को मार देती है, उसकी असमर्थता सही वक्त पर ही फैसला न लेने की अयोग्यता । यह तय करने की उसकी अक्षमता कि कब पानी से बाहर आने के लिये छलांग लगा देनी है।

          इसी तरह हम भी अपने वातावरण और लोगो के साथ सामंजस्य बनाए रखने की तब तक कोशिश करते हैं, जब तक की छलांग लगा सकने कि हमारी सारी ताकत खत्म नहीं हो जाती ।

     ये तय हमे ही करना होता है कि हम जल मे मरें या सही वक्त पर कूद निकलें।

(विचार करें, गलत-गलत होता है, सही-सही, गलत सहने की सामंजस्यता हमारी मौलिकता को ख़त्म कर देती है)

         अन्याय करने से ज्यादा अन्याय सहने वाला दोषी होता है ।
                                 - श्री कृष्णा

         बिगाड़ के डर से न्याय की बात न करने वाले भीष्म पितामह की तरह मृत्यु को पाते है ।
                           - श्रीमद्भगवतगीता