शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

जीवन सूत्र

जीवन सूत्र 
1 जिंदगी में जो शेष है वो ही विशेष  है
2 युद्ध नही प्रेम करो अगर दोनों करना है तो शादी कर लो
3. जो निषुल्क है वही कीमती है नींद शांति आनन्द हवा पानी प्रकाश और सबसे कीमती साँसे
4 मुझे क्या तुझे क्या हमें क्या ओर रिस्ते धीऱे धीऱे खत्म
5 जिसे देखो वो हवा में उड़ रहा है फिर जमीन पर इतनी भीड़ क्यो है
6 जूते ओर बादाम एक जैसे होते है जितना खाओगे उतनी अक्ल आएगी
7 हंसना अच्छी बात है मगर दुसरो पर नही
8 ताकत के बिना न्याय दयनीय है और न्याय के बिना ताकत बर्बर
9 जिसमें गलत को गलत कहने की हिम्मत नही वहः खुद भी गलत है ।

मंगलवार, 22 सितंबर 2020

पाप की गठरी

पाप की गठरी

एक बार की बात है..... किसी राजा ने यह फैसला लिया के वह प्रतिदिन 100 अंधे लोगों को खीर खिलाया करेगा।

एक दिन खीर वाले दूध में सांप ने मुंह डाला और दूध में विष डाल दी । ज़हरीली खीर को खाकर 100 के 100 अंधे व्यक्ति मर गए।

राजा बहुत परेशान हुआ कि मुझे 100 आदमियों की हत्या का पाप लगेगा।

राजा परेशानी की हालत में अपने राज्य को छोड़कर जंगलों में भक्ति करने के लिए चल पड़ा, ताकि इस पाप की माफी मिल सके।

रास्ते में एक गांव आया। राजा ने चौपाल में बैठे लोगों से पूछा कि क्या इस गांव में कोई भक्ति भाव वाला परिवार है  ताकि उसके घर रात काटी जा सके?

चौपाल में बैठे लोगों ने बताया कि इस गांव में दो बहन भाई रहते हैं जो खूब पूजा करते हैं। राजा उनके घर रात  में ठहर गया।

सुबह जब राजा उठा तो लड़की पूजा पर बैठी हुई थी । इससे पहले लड़की का रूटीन था कि वह दिन निकलने से पहले ही पूजा से उठ जाती थी और नाश्ता तैयार करती थी।

लेकिन उस दिन वह लड़की बहुत देर तक पूजा पर बैठी रही। जब लड़की उठी तो उसके भाई ने कहा कि बहन तू इतनी देर से उठी है ।अपने घर मुसाफिर आया हुआ है और उसे नाश्ता करके दूर जाना है। 

 लड़की ने जवाब दिया कि भैया ऊपर एक  मामला उलझा हुआ था। धर्मराज को किसी उलझन भरी स्थिति पर कोई फैसला लेना था और मैं वह फैसला सुनने के लिए रुक गयी थी। इसलिए देर तक ध्यान करती रही🙏🙏

तो उसके भाई ने पूछा ऐसी क्या बात थी? तो लड़की ने बताया कि फलां  राज्य का राजा अंधे व्यक्तियों को खीर खिलाया करता था। लेकिन सांप के दूध में विष डालने से 100 अंधे व्यक्ति मर गए। अब धर्मराज को समझ नहीं आ रहा कि अंधे व्यक्तियों की मौत का पाप राजा को लगे , सांप को लगे या दूध बिना ढके छोड़ने वाले रसोइये  को लगे।

राजा भी सुन रहा था। राजा को अपने से संबंधित बात सुन कर दिलचस्पी हो गई और उसने लड़की से पूछा कि फिर क्या फैसला हुआ ?

लड़की ने बताया कि अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया था । तो राजा ने पूछा कि क्या मैं आपके घर एक रात के लिए और रुक सकता हूं ? दोनों बहन भाइयों ने खुशी से उसको हां कर दी।

राजा अगले दिन के लिए रुक गया, लेकिन चौपाल में बैठे लोग दिन भर यही चर्चा करते रहे कि कल जो व्यक्ति हमारे गांव में एक रात रुकने के लिए आया था और कोई भक्ति भाव वाला घर पूछ रहा था, उसकी भक्ति का नाटक तो सामने आ गया है। रात काटने के बाद वह इसलिए नहीं गया क्योंकि जवान लड़की को देखकर उस व्यक्ति की नियत खोटी हो गई। इसलिए वह उस सुन्दर और जवान लड़की के घर पक्के तौर पर ही ठहरेगा या फिर लड़की को लेकर भागेगा। दिनभर चौपाल में उस राजा की निंदा होती रही।

अगली सुबह लड़की फिर ध्यान पर बैठी और रूटीन के टाइम अनुसार उठ गई। तो राजा ने पूछा- "बेटी अंधे व्यक्तियों की हत्या का पाप किसको लगा ?"

तो लड़की ने बताया कि- "वह पाप तो हमारे गांव के चौपाल में बैठने वाले लोग बांट के ले गए।"

 शिक्षा
निंदा करना कितना घाटे का सौदा है? निंदक हमेशा दूसरों के पाप अपने सर पर ढोता रहता है। और दूसरों द्वारा किये गए उन पाप-कर्मों के फल को भी भोगता है। अतः हमें सदैव निंदा से बचना चाहिए।

सोमवार, 17 अगस्त 2015

निंदा

लोग अक्सर मुझसे कहते है की जगह-जगह तुम्हारी बहुत "निंदा" होने लगी है ।
और
मैं जवाब में कहता हूँ की
"निंदा "तो उसी की होती है जो"जिंदा" है।
मरे हुए कि तो बस तारीफ ही होती हैं।✨
जय श्री राधे

रविवार, 16 अगस्त 2015

शिव ही सर्वस्य - शिव ही सर्वस्य 

शिव ही सर्वस्य - शिव ही सर्वस्य 
शिव आदि देव है। वे महादेव हैं, सभी देवों में सर्वोच्च और महानतमें शिव को ऋग्वेद में रुद्र कहा गया है। पुराणों में उन्हें महादेव के रूप में स्वीकार किया गया है। श्वेता श्वतरोपनिषद् के अनुसार ‘सृष्टि के आदिकाल में जब सर्वत्र अंधकार ही अंधकार था। न दिन न रात्रि, न सत् न असत् तब केवल निर्विकार शिव (रुद्र) ही थे।’ शिव पुराण में इसी तथ्य को इन शब्दों में व्यक्त किया गया है -
‘एक एवं तदा रुद्रो न द्वितीयोऽस्नि कश्चन’ सृष्टि के आरम्भ में एक ही रुद्र देव विद्यमान रहते हैं, दूसरा कोई नहीं होता। वे ही इस जगत की सृष्टि करते हैं, इसकी रक्षा करते हैं और अंत में इसका संहार करते हैं। ‘रु’ का अर्थ है-दुःख तथा ‘द्र’ का अर्थ है-द्रवित करना या हटाना अर्थात् दुःख को हरने (हटाने) वाला। शिव की सत्ता सर्वव्यापी है। प्रत्येक व्यक्ति में आत्म-रूप में शिव का निवास है-
‘अहं शिवः शिवश्चार्य, त्वं चापि शिव एव हि।
सर्व शिवमयं ब्रह्म, शिवात्परं न किञचन।।
में शिव, तू शिव सब कुछ शिव मय है। शिव से परे कुछ भी नहीं है। इसीलिए कहा गया है- ‘शिवोदाता, शिवोभोक्ता शिवं सर्वमिदं जगत्।
शिव ही दाता हैं, शिव ही भोक्ता हैं। जो दिखाई पड़ रहा है यह सब शिव ही है। शिव का अर्थ है-जिसे सब चाहते हैं। सब चाहते हैं अखण्ड आनंद को। शिव का अर्थ है आनंद। शिव का अर्थ है-परम मेंगल, परम कल्याण।

शिव ही सर्वस्य - सामान्यतः ब्रहमा को सृष्टि का रचयिता, विष्णु को पालक और शिव को संहारक माना जाता है। परन्तु मूलतः शक्ति तो एक ही है, जो तीन अलग-अलग रूपों में अलग-अलग कार्य करती है। वह मूल शक्ति शिव ही हैं। स्कंद पुराण में कहा गया है-ब्रह्मा, विष्णु, शंकर (त्रिमूर्ति) की उत्पत्ति माहेश्वर अंश से ही होती है। मूल रूप में शिव ही कर्त्ता, भर्ता तथा हर्ता हैं। सृष्टि का आदि कारण शिव है। शिव ही ब्रह्म हैं। ब्रहम की परिभाषा है - ये भूत जिससे पैदा होते हैं, जन्म पाकर जिसके कारण जीवित रहते हैं और नाश होते हुए जिसमें प्रविष्ट हो जाते हैं, वही ब्रह्म है। यह परिभाषा शिव की परिभाषा है। ध्यान रहे जिसे हम शंकर कहते हैं - वह एक देवयोनि है जैसे ब्रहमा एवं विष्णु हैं। उसी प्रकार। शंकर शिव के ही अंश हैं। पार्वती, गणेश, कार्तिकेय आदि के परिवार वाले देवता का नाम शंकर है। शिव आदि तत्त्व है, वह ब्रह्म है, वह अखण्ड, अभेद्य, अच्छेद्य, निराकार, निर्गुण तत्त्व है। वह अपरिभाषेय है, वह नेति-नेति है।
शिव ही सर्वस्य - शिव ही सर्वस्य 
शिव आदि देव है। वे महादेव हैं, सभी देवों में सर्वोच्च और महानतमें शिव को ऋग्वेद में रुद्र कहा गया है। पुराणों में उन्हें महादेव के रूप में स्वीकार किया गया है। श्वेता श्वतरोपनिषद् के अनुसार ‘सृष्टि के आदिकाल में जब सर्वत्र अंधकार ही अंधकार था। न दिन न रात्रि, न सत् न असत् तब केवल निर्विकार शिव (रुद्र) ही थे।’ शिव पुराण में इसी तथ्य को इन शब्दों में व्यक्त किया गया है -
‘एक एवं तदा रुद्रो न द्वितीयोऽस्नि कश्चन’ सृष्टि के आरम्भ में एक ही रुद्र देव विद्यमान रहते हैं, दूसरा कोई नहीं होता। वे ही इस जगत की सृष्टि करते हैं, इसकी रक्षा करते हैं और अंत में इसका संहार करते हैं। ‘रु’ का अर्थ है-दुःख तथा ‘द्र’ का अर्थ है-द्रवित करना या हटाना अर्थात् दुःख को हरने (हटाने) वाला। शिव की सत्ता सर्वव्यापी है। प्रत्येक व्यक्ति में आत्म-रूप में शिव का निवास है-
‘अहं शिवः शिवश्चार्य, त्वं चापि शिव एव हि।
सर्व शिवमयं ब्रह्म, शिवात्परं न किञचन।।
में शिव, तू शिव सब कुछ शिव मय है। शिव से परे कुछ भी नहीं है। इसीलिए कहा गया है- ‘शिवोदाता, शिवोभोक्ता शिवं सर्वमिदं जगत्।
शिव ही दाता हैं, शिव ही भोक्ता हैं। जो दिखाई पड़ रहा है यह सब शिव ही है। शिव का अर्थ है-जिसे सब चाहते हैं। सब चाहते हैं अखण्ड आनंद को। शिव का अर्थ है आनंद। शिव का अर्थ है-परम मेंगल, परम कल्याण।
सामान्यतः ब्रहमा को सृष्टि का रचयिता, विष्णु को पालक और शिव को संहारक माना जाता है। परन्तु मूलतः शक्ति तो एक ही है, जो तीन अलग-अलग रूपों में अलग-अलग कार्य करती है। वह मूल शक्ति शिव ही हैं। स्कंद पुराण में कहा गया है-ब्रह्मा, विष्णु, शंकर (त्रिमूर्ति) की उत्पत्ति माहेश्वर अंश से ही होती है। मूल रूप में शिव ही कर्त्ता, भर्ता तथा हर्ता हैं। सृष्टि का आदि कारण शिव है। शिव ही ब्रह्म हैं। ब्रहम की परिभाषा है - ये भूत जिससे पैदा होते है और स्थित है और जिसमें लय होते है

चिंतन


चिंतन...

एक बार श्रीकृष्ण कहते हैं-
"तुम पाँचों भाई वन में जाओ
और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ।

मैं
तुम्हें उसका प्रभाव बताऊँगा।"

पाँचों भाई वन में गये।

युधिष्ठिर महाराज ने
देखा कि किसी हाथी की दो सूँड
है।

यह देखकर आश्चर्य का पार न रहा।

अर्जुन दूसरी दिशा में गये।
वहाँ उन्होंने देखा कि कोई पक्षी है, उसके पंखों पर
वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं पर वह
पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है

यह भी आश्चर्य है !

भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय ने
बछड़े को जन्म दिया है और बछड़े को इतना चाट
रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है।

सहदेव ने चौथा आश्चर्य देखा कि छः सात कुएँ हैं और आसपास
के कुओं में पानी है किन्तु बीच
का कुआँ खाली है। बीच का कुआँ
गहरा है फिर
भी पानी नहीं है।

पाँचवे भाई नकुल ने भी एक अदभुत आश्चर्य
देखा कि एक पहाड़ के ऊपर से एक
बड़ी शिला लुढ़कती-लुढ़कती
आती और कितने ही वृक्षों से टकराई
पर उन वृक्षों के तने उसे रोक न सके।
कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई
पर वह रुक न सकीं। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे
का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई।

पाँचों भाईयों के आश्चर्यों का कोई पार नहीं !
शाम
को वे श्रीकृष्ण के पास गये और अपने अलग-
अलग दृश्यों का वर्णन किया।

युधिष्ठिर कहते हैं- "मैंने
दो सूँडवाला हाथी देखा तो मेरे आश्चर्य का कोई पार न
रहा।"

तब श्री कृष्ण कहते हैं-
"कलियुग में ऐसे
लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे।
बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ।
ऐसे लोगों का राज्य होगा।
इससे तुम पहले राज्य कर लो।

अर्जुन ने आश्चर्य देखा कि पक्षी के पंखों पर वेद
की ऋचाएँ लिखी हुई हैं और
पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है।

इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे जो बड़े-
बड़े पंडित और विद्वान कहलायेंगे किन्तु वे
यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे
नाम से संपत्ति कर जाये।

"संस्था" के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन सा मनुष्य मरे और
संस्था हमारे नाम से हो जाये।

हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे
विचार करेंगे कि कब किसका
श्राद्ध है ?

चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किन्तु
उनकी दृष्टि तो धन के ऊपर (मांस के ऊपर)
ही रहेगी।

परधन परमन हरन को वैश्या बड़ी चतुर।
ऐसे लोगों की बहुतायत होगी, कोई कोई
विरला ही संत पुरूष होगा।

भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय
अपने बछड़े को इतना चाटती है कि बछड़ा लहुलुहान
हो जाता है।

कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जायेगा।

बालकों के लिए इतनी ममता करेगा कि उन्हें अपने
विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा।

""किसी का बेटा घर छोड़कर साधु
बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे....

किन्तु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोयेंगे कि मेरे बेटे
का क्या होगा ?""

इतनी सारी ममता होगी कि उसे
मोहमाया और परिवार में ही बाँधकर रखेंगे और
उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा।

अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा।

वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं
की अमानत हैं,
लड़कियाँ जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह
शरीर मृत्यु की अमानत है।

तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत
है ।

तुम अपने शाश्वत संबंध को जान लो बस !

सहदेव ने चौथा आश्चर्य यह देखा कि पाँच सात भरे कुएँ के
बीच का कुआँ एक दम खाली !

कलियुग में धनाढय लोग लड़के-लड़की के विवाह में,
मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रूपये खर्च कर
देंगे
परन्तु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा होगा तो यह
नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है
या नहीं।

दूसरी और मौज-मौज में, शराब, कबाब, फैशन और
व्यसन में पैसे उड़ा देंगे।

किन्तु किसी के दो आँसूँ पोंछने में
उनकी रूचि न होगी और
जिनकी रूचि होगी उन पर कलियुग
का प्रभाव नहीं होगा, उन पर भगवान का प्रभाव
होगा।

पाँचवा आश्चर्य यह था कि एक बड़ी चट्टान पहाड़
पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टाने उसे रोक न
पाये किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह
चट्टान रूक गई।

कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा,
उसका जीवन पतित होगा।

यह पतित जीवन धन की शिलाओं से
नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से
रूकेगा।

किन्तु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन
के एक छोटे से पौधे मनुष्य जीवन का पतन
होना रूक जायेगा।

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

ऊंचे कुल का जनमिया


ऊंचे कुल का जनमिया,  करणी ऊंच न होइ।
सुबरण कलश सुरा भरा, साधु निंदा सोई।।
भावार्थ
कोई चाहे कितने ही उच्च कुल  में जन्म ले यदि उसके कर्म व्यवहार आदर्श निम्न हैं तो संसार उसकी निंदा ही करता है जिस प्रकार कलश चाहे सोने का ही क्यों न हो यदि उसमें शराब भरी हुई है तो सज्जन लोग उसे अच्छा नहीं कहते हैं

खुशनसीब होता है वो खून

आओ झुक कर सलाम करें उनको;
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है;
खुशनसीब होता है वो खून;
जो देश के काम आता है!

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

मेरा सौभाग्य

मनुष्य होना मेरा भाग्य है,
       लेकिन
    आप सभी से जुड़े रहना
मेरा सौभाग्य है....

सुख और दुख

झूला जितना पीछे जाता है, उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।
जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत, वह आगे भी आएगा।

बुधवार, 12 अगस्त 2015

खुद को समझा लेना

जहाँ दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये..
वहाँ खुद को समझा लेना बेहतर होता है।

स्वयं को ऐसा बनाओ


स्वयं को ऐसा बनाओ की जहा तुम हो वहां सब तुमे प्यार करे...
जहा से तुम चले जाओ तो वहा तुम्हे याद करे...
जहा पहुँचने वाले हो वह तुम्हारा इंतज़ार करे।

सोमवार, 10 अगस्त 2015

सीस कान मुख नासिका


सीस कान मुख नासिका, ऊंचे ऊंचे ठाँव। सहजो नीचे कारणे, सब जग पूजे पाँव।।
भावार्थ
सहजो कहती हैं कि मनुष्य के शरीर में मस्तक कान नाक व मुंह आदि अनेक अंग शरीर के ऊपरी हिस्से में स्थित होने के कारण सहज ही उनमें बङप्पन का भाव होता है इसलिए संसार उसे पूजने की बजाय सरलता का भाव लिए शरीर के सबसे नीचे रहने वाले पाँव को ही पूजते हैं सहजो कहती हैं जो लोग अभिमान से ग्रसित है संसार उनकी अवहेलना कर सदैव सरल प्रकृति के व्यक्तियों का ही सम्मान करता है

ज़िन्दगी मे जो भी हासील करना हो...

ज़िन्दगी मे जो भी हासील  करना हो...  उसे वक्त पर हासील करो.....  क्युकी ज़िन्दगी मौके कम  और धोखे ज्यादा देती है....

सच्चाई के इस जंग मे

सच्चाई के इस जंग मे कभी
झूठे भी जीत जाते हैं.....
समय अपना अच्छा न हो तो
कभी अपने भी बिक जाते हैं..।

ख़ुशी के आंसू

लाख मिठाईया चखी हो आप ने….....

पर ख़ुशी के आंसू का स्वाद सबसे मीठा होता

बैंडबाजा वाले

समय एक सा नहीं रहता
यारो,
सबका बदलता है...

जो कपडे अंग्रेजों के गवर्नर
पहनकर लोगों को डराते थे वो
आज हमारे बैंडबाजा वाले पहनते है

इन्सान होता है.....


इन्सान होता है.....
प्यार करने के लिए !
पैसा होता है ....
उपयोग करने के लिए !
किन्तु...
दुःख तब होता है ,
जब लोग प्यार पैसे से करते है !
और उपयोग इन्सान का करते है ।...

रविवार, 9 अगस्त 2015

प्रभु हमारे जीवन मे नया सवेरा देना

प्रभु हमारे जीवन मे नया सवेरा देना ।
बुद्धि पर कभी कुबुद्धि की जीत होने ना देना ।
हमेशा हम सत्य के साथ आगे बढे ।
सफलता के लिए मेहनत को चुने इतनी हिम्मत देना ।
दुसरो पर गलती ढुढने से पहले हमारे सिर को तुम झुका देना ।
सेवा, सहयोग को हमारा परम कर्तव्य बना देना ।
अन्याय के विरुद्ध लडना हमे सीखा देना ।
कर्म कभी बुरा न करे बुराई से दुर हमे हटा देना ।
प्रभु हमे सतबुद्धि देना ।
हमारे जीवन मे नया सवेरा देना .....

ठोकर

आज का सच

दुनियाँ की हर चीज...
ठोकर लगने से टूट जाया करती है...
एक " कामयाबी " ही है...
जो ठोकर खा के ही मिलती है ...

राधाजी कृष्ण संवाद

➰➰✅➰➰

एक बार राधाजी ने कृष्ण से पूछा: गुस्सा क्या हैं..?
बहुत खुबसूरत जवाब मिला: किसी की गलती की सजा खुद को देना..!

➰➰Ⓜ➰➰

एक बार राधा ने कृष्ण से पूछा: दोस्त और प्यार में क्या फर्क होता हैं?
कृष्ण हँस कर बोले: प्यार सोना हैं.. और दोस्त हीरा.. सोना टूट कर दुबारा बन सकता हैं.. मगर हीरा नहीं..!

➰➰Ⓜ➰➰

एक बार राधाजी ने कृष्णजी से पूछा: मैं कहाँ हूँ..?
कृष्ण ने कहा: तुम मेरे दिल में.. साँस में.. जिगर में.. धड़कन में.. तन में.. मन में.. हर जगह हो..!
फिर राधाजी ने पूछा: मैं कहाँ नहीं हूँ..?
तो कृष्ण ने कहा: मेरी किस्मत..!

➰➰Ⓜ➰➰

राधा ने श्रीकृष्ण से पूछा: प्यार का असली मतलब क्या होता हैं..?
श्रीकृष्ण ने हँस कर कहा: जहाँ मतलब होता हैं.. वहाँ प्यारही कहाँ होता हैं..!

➰➰Ⓜ➰➰

एक बार राधाने कृष्ण से पूछा: आपने मुझसे प्रेम किया.. लेकिन शादी रुक्मिणी से की.. ऐसा क्यों..?
कृष्ण ने हँसते हुए कहा: राधे... शादी में दो लोग चाहिये....और हम तो एक हैं

!

➰➰Ⓜ➰➰
: बहुत अच्छे विचार
जरुर पढ़े

नज़र और नसीब का
कुछ ऐसा इत्तफाक हैं
कि
नज़र को अक्सर वही
चीज़ पसंद आती हैं
जो नसीब में नहीं होती

और
नसीब में लिखी चीज़
अक्सर नज़र नहीं आती है

मैंने एक दिन
भगवान से पूछा
आप मेरी दुआ
उसी वक्त
क्यों नहीं सुनते हो
जब मैं
आपसे मांगता हूँ

भगवान ने
मुस्कुरा कर के कहा
मैं तो आप के
गुनाहों की सजा भी
उस वक्त नहीं देता
जब आप करते हो

किस्मत तो पहले ही
लिखी जा चुकी है
तो कोशिश करने से
क्या मिलेगा

क्या पता
किस्मत में लिखा हो
कि
कोशिश से ही मिलेगा

ज़िन्दगी में
कुछ खोना पड़े
तो यह
दो लाइन याद रखना

जो खोया है
उसका ग़म नहीं

लेकिन

जो पाया है
वह किसी से कम नहीं

जो नहीं है
वह एक ख्वाब हैं

और

जो है
वह लाजवाब है

इन्सान कहता है कि
पैसा आये तो
हम कुछ करके दिखाये

और
पैसा कहता हैं कि
आप कुछ करके दिखाओ
तो मैं आऊ

बोलने से पहले
लफ्ज़ आदमी के
गुलाम होते हैं

लेकिन
बोलने के बाद इंसान
अपने लफ़्ज़ों का गुलाम
बन जाता हैँ

ज्यादा बोझ लेकर
चलने वाले
अक्सर डूब जाते हैं

फिर चाहे वह
अभिमान का हो
या
सामान का

जिन्दगी जख्मों
से भरी है
वक़्त को मरहम
बनाना सीख लो

हारना तो है
मौत के सामने
फ़िलहाल जिन्दगी से
जीना सीख लो

मेरा सपना

मत सोच की मेरा सपना क्यों पूरा नहीं होता.....
हिम्मत वालो का इरादा कभी अधुरा नहीं होता....
जिस इंसान के कर्म अच्छे होते है...
उस के जीवन में कभी अँधेरा नहीं होता...!!!

अच्छे रिश्तों

अच्छे रिश्तों को वादे और शर्तों की
जरूरत नहीं होती..
बस दो खुबसूरत लोग चाहिए
एक निभा सके और
दुसरा उसको समझ सके..
सुप्रभात
जय माताजी......

मेरा सपना

मत सोच की मेरा सपना क्यों पूरा नहीं होता.....
हिम्मत वालो का इरादा कभी अधुरा नहीं होता....
जिस इंसान के कर्म अच्छे होते है...
उस के जीवन में कभी अँधेरा नहीं होता...!!!

शनिवार, 8 अगस्त 2015

तीन ही परिस्थितियों

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कोई किसी के पास तीन ही परिस्थितियों में जाता है -
1- भाव में
2- अभाव में
3- प्रभाव में

इसलिए आपके पास जब भी कोई आये तो उसे पूरा सम्मान दें पता नहीं वह किस स्थिति में आपके पास आया है

1-भाव  से आया है तो बस प्रेम चाहिए

2- अभाव में आया है तो मदद चाहिए और आपको सक्षम समझ कर आया है

3- प्रभाव में आया है तो आप को अभिमान होना चाहिए कि आप इस हेतु स्वयं सक्षम हैं तो उसका तिरस्कार न करें

पल पल.... हर पल


हमें पता है कि रंगोली दुसरे ही दिन मिटने वाली है फिर भी वो ज्यादा से ज्यादा आकर्षक हो, कलात्मक हो, मनमोहक हो ये कोशिश रहती है हमेशा हमारी ।

शायद जीवन भी कुछ रंगोली जैसा ही है दोस्तों । हमें पता है जिंदगी एक दिन ख़त्म हो जाएगी फिर भी उसे खुबसूरत बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए...
...पल पल.... हर पल

मनुष्य कितना मूर्ख है

मनुष्य कितना मूर्ख है |
प्रार्थना करते समय समझता है कि भगवान सब सुन रहा है,
पर निंदा करते हुए ये भूल जाता है।
पुण्य करते समय यह समझता है कि भगवान देख रहा है,
पर पाप करते समय ये भूल जाता है।
दान करते हुए यह समझता है कि भगवान सब में बसता है,
पर चोरी करते हुए ये भूल जाता है।
प्रेम करते हुए यह समझता है कि पूरी दुनिया भगवान ने बनाई है,
पर नफरत करते हुए ये भूल जाता है।
..और हम कहते हैं कि मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है।
क़दर किरदार की होती है,
वरना...
कद में तो साया भी
इंसान से बड़ा होता है......

मंदिर भी क्या गज़ब की जगह है...
गरीब बाहर भीख मांगते हैं और अमीर अन्दर....

जो पुरूषारथ ते कहूं,


जो पुरूषारथ ते कहूं, संपति मिलत रहीम।
पेट लागि वैराट घर, तपत रसोई भीम।।
भावार्थ
रहीम कहते है यदि व्यक्ति के पुरूषार्थ करने से धन संपति मिलती है तो कभी भी यह नहीं देखा जाता कि काम बङा है या छोटा अर्थात पुरूषार्थ ही
श्रेष्ठ है जिस प्रकार भीम ने राजा विराट के घर रसोईये का काम भी अज्ञात वास में अपना पेट पालने के लिए सहजता से कर लिया था इसलिए रहीम कहते है काम चाहे कितना भी  छोटा  हो व्यक्ति का पुरूषार्थ बङा होना चाहिए वह उसमें सदैव बङप्पन बनाये रखता है

विश्वास

एक छोटा शब्द है ।
पढे तो ' सेकंड ' लगेगा
सोचे तो ' मिनट ' लगेगा
समझे तो ' दिन ' लगेगा
और साबित करने मे
पूरी जिन्दगी लग जाती है
जो हैं 
         ।।विश्वास।!

गलतिया

अपनी आदतों के अनुसार चलने में उतनी गलतिया
नही होती जितनी दुनिया
का लिहाज रखकर चलने
में होती हैं....

गुरुवार, 6 अगस्त 2015

"श्रद्धा" "नम्रता" और योग्यता

"श्रद्धा" ज्ञान देती हैं, "नम्रता" मान देती हैं, और योग्यता स्थान देती है !

पर तीनो मिल जाए तो व्यक्ति को हर जगह "सम्मान "देती हैं...!!!
सुप्रभात

नमक की तरह कड़वा ज्ञान

मीठा बोलने वाला कभी हितेषी नहीं होता नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है।

इतिहास गवाह है की आज दिन तक कभी नमक में कीड़े नहीं पड़े और मिठाई में कीड़े के साथ बीमारी भी होती है..! 

हकीकत है सच्ची बात कडवी लगती है

बुधवार, 5 अगस्त 2015

परीक्षा मत लो,

"जीवन में कभी अपने मित्र अथवा सम्बन्धी की परीक्षा मत लो, क्योंकि हो सकता है कि उस समय वो असहाय हो या परिस्थिति वश लाचार हो...
और आप अज्ञानता वश अपना एक उत्तम मित्र अथवा सम्बन्धी सदा के लिए स्वयं से दूर कर लो"

समय बहाकर ले जाता है

समय बहाकर ले जाता है,
नाम और निशान।
कोई 'हम' में रह जाता है और  कोई 'अहम' में!.....

मंगलवार, 4 अगस्त 2015

हाय रे बेरोज़गारी

एक हैंडसम लड़का क्लास में आया ....
.
.
और सारी लडकिया देखते ही
दीवानी होगयी .
.
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फिर लड़के ने आते ही कुछ कहा तो
लडकिया बेहोश .
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सोचो क्या कहा होगा ??
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थोड़ी जगह देना बहिन जी....
झाड़ू लगाना है ....

"हाय रे बेरोज़गारी "

Pearl of the DaY

Pearl of the DaY
"The Real Education
     Is Your Attitude
      and Behaviour
        With Others.
It Defines Your whole
       Personality, No
  Matter how Qualified
             You are."

रेड लाईट एरिया

एक रेड लाईट एरिया मे क्या खूब बात लिखी पाई गई...
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"यहाँ सिर्फ जिस्म बिकता है,
ईमान खरीदना हो तो अगले चौक पर 'पुलिस स्टेशन' हैं |"
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आप चाहते हैं,
कि आपकी तानाशाही चले और कोई आपका विरोध न करे..
तो आप भारत में न्यायाधीश बन जाइये,
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आप चाहते हैं,
कि आप एक से बढ़कर एक झूठ बोलें अदालत में,
लेकिन कोई आपको सजा न दे,
तो आप वकील बन जाइये,
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कोई महिला चाहती हो
कि वो खूब देह व्यापार करे
लेकिन कोई उनको वेश्या न बोले,
तो बॉलीवुड में हेरोइन बन जाये.
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आप चाहते हैं,
कि आप खूब लूट मार करें,
लेकिन कोई आपको डाकू न बोले,
तो आप भारत में राजनेता बन जाइये,
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आप चाहते हैं,
कि आप दुनिया के हर सुख मांस,मदिरा,स्त् री
इत्यादि का आनंद लें,
लेकिन कोई आपको भोगी न कहे,
तो किसी भी धर्म के धर्मगुरु बन जाओ.
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आप चाहते हैं,
कि आप किसी को भी बदनाम कर दें,
लेकिन आप पर कोई मुकदमा न हो,
तो मीडिया में रिपोर्टर बन जाइये,
यकीन मानिये..
कोई आप का बाल भी बाँका नहीं कर पाएगा.

भारत में,
हर 'गंदे' काम के लिए एक वैधानिक पद उपलब्ध
है,
इसीलिए मेरा भारत महान है।
,
बात कडवी जरूर है

लेकिन
सच्ची एवं दमदार है।

मन के समीकरण

गुरू से शिष्य ने कहा,
गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है !
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा ।
    एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा-
गुरू जी ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी ! आज वह अपनी गाय वापिस ले गया ।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली।   
     ऐसा व्यक्ति जो हर हाल में राज़ी हो उसे कोई दुख कभी  दुःखी नहीं कर सकता

     'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो ।
बस दुख सुख में बदल जायेगा 
     सुख दुख आख़िर दोनों
     मन के ही तो समीकरण हैं।

शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

कुरआन पढ लेता तो आतंकवादी नहीं होता......

एक हिन्दू परिवार गाङी में जा रहा था।कुछ आतंकवादियों ने गाङी को रोका। एक आतंकवादी ने परिवार के मुखिया कि कनपटी पे बंदूक रखी और कहा "तुम्हारी ज़ात क्या है ?                        हिन्दू बोला ..."मुसलमान"             आतंकवादी ने कहा- कुरआन कि कोई आयत सुनाओ     हिन्दू  ने आयत सुना दी          आतंकवादी ने कहा - अब तुम जा सकते हो                             जब वो परिवार वहां से निकला तो हिन्दू से उसकी पत्नी ने कहा -आपने तो गीता की चोपाई सुनाई थी फिर उसने हमें कैसे छोङा                             हिन्दू ने कहा - अगर ये कुरआन पढ लेता तो आतंकवादी नहीं होता......