मंगलवार, 4 अगस्त 2015

मन के समीकरण

गुरू से शिष्य ने कहा,
गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है !
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा ।
    एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा-
गुरू जी ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी ! आज वह अपनी गाय वापिस ले गया ।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली।   
     ऐसा व्यक्ति जो हर हाल में राज़ी हो उसे कोई दुख कभी  दुःखी नहीं कर सकता

     'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो ।
बस दुख सुख में बदल जायेगा 
     सुख दुख आख़िर दोनों
     मन के ही तो समीकरण हैं।

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