शनिवार, 8 अगस्त 2015

जो पुरूषारथ ते कहूं,


जो पुरूषारथ ते कहूं, संपति मिलत रहीम।
पेट लागि वैराट घर, तपत रसोई भीम।।
भावार्थ
रहीम कहते है यदि व्यक्ति के पुरूषार्थ करने से धन संपति मिलती है तो कभी भी यह नहीं देखा जाता कि काम बङा है या छोटा अर्थात पुरूषार्थ ही
श्रेष्ठ है जिस प्रकार भीम ने राजा विराट के घर रसोईये का काम भी अज्ञात वास में अपना पेट पालने के लिए सहजता से कर लिया था इसलिए रहीम कहते है काम चाहे कितना भी  छोटा  हो व्यक्ति का पुरूषार्थ बङा होना चाहिए वह उसमें सदैव बङप्पन बनाये रखता है

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