शुक्रवार, 5 जून 2015

न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो..

◆ नदी में पानी मीठा रहता है
क्योंकि वो देती रहती है,
◆ सागर का पानी खारा रहता है क्योंकि वो लेता रहता है,
◆ नाले का पानी दुर्गन्ध पैदा करता है
क्योंकि वो रुका रहता है..!
→ अपना जीवन भी वैसा ही है,  देते रहेंगे तो मीठे लगेंगे
→ लेते रहेंगे तो खारे लगेंगे
→ रुके रहेंगे तो बेचारे लगेंगे..!
"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो..

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