रविवार, 14 जून 2015

ऐ कान्हा.......

ऐ कान्हा.......

कोई शायर तो
        कोई फकीर बन जाये,
तुझे जो देखे वो
            खुद तस्वीर बन जाये..
ना फूलों की ज़रूरत
                ना कलियों की,
तू जहाँ पैर रख दे,
       वही  वृन्दावन बन जाये !

।। जय श्रीकृष्णा

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