गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने
आश्रम के लिये गाय भेंट की है।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा।
एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू !
जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय
वापिस ले गया ।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट
से मुक्ति मिली।
'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो ।
बस दुख सुख में बदल जायेगा.।
"सुख दुख आख़िर दोनों
मन के ही तो समीकरण हैं।"
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रविवार, 26 अप्रैल 2015
'मनस्थिति' बदलो
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