प्रशंसा और चापलूसी में वही अंतर हैं जो अमृत और विष में ।
प्रशंसा से व्यक्ति को प्रोत्साहन मिलता हैं वह उत्कृष् की और बढ़ने लगता है जबकि चापलूसी व्यक्ति में मिथ्याभिमान जगती है । वह उसे पतन के गर्त में धकेल देती है । टॉल्सटॉय ने कहा की कोई भी चापलूसी इसलिए करता है क्योकि वह खुद को अयोग्य समझता है । आप अपनी प्रसंशा सुन कर फुले नही समाते । यही इंसान की कमजोरी है ।
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रविवार, 24 मई 2015
प्रशंसा और चापलूसी में अंतर
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