सोमवार, 16 मार्च 2015

गुलाब की खुशबू

एक बार किसी गुरू ने अपने शिष्य को उपदेश देते हुऐ कहा - बेटा एक गुलाब का फूल लो उसे पंसारी की दुकान पर ले जाओ और उसे घी पर रखो, गुड़ पर रखो किसी भी चीज पर रखो आखिर कार उसे सूॅघों तो वह कैसी - कैसी खुश्बू देगा........? शिष्य ने कहा गुरूजी - गुलाब को सूॅघोगे तो वह अपने चरित्र को नहीं छोड़ेगा। वह तो अपनी ही खुश्बू देगा, गुरू ने कहा एैसा बनकर ही संसार में रहना चाहिऐ, आप मिलेगें तो सबसे, पुत्र से, पुत्री, पति, माता- पिता सबसे मिलेंगे, पर व्यवहार एैसा रखिऐ कि अपने परम लक्ष्य को न भूलें, दुनिया में आऐ है तों दुनियादारी में तो रहना ही पड़ेगा। परंतु जिएं तो जिएं इस तरह कि ‘‘गुलाब होकर तेरी महक जमाना चाहे‘‘। 
सुप्रभात

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