मंगलवार, 24 मार्च 2015

मन के समीकरण

शीष्य ने गुरु से कहा- गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिए गाय भेंट की है !
गुरू ने कहा-अच्छा हुआ दुध पीने को मीलेंगा !

एक सप्ताह बाद शीष्य ने आकर गुरू से कहा- गुरूजी ! जीस व्यक्ति ने गाय दी थी आज वह अपनी गाय वापस ले गया !
गुरू ने कहा अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झझंट से मुक्ती मीली ! ऐसा व्यक्ती जो हर हाल में राजी हो, उसे कोई दुख कभी दु:खी नही कर सकता !
परीस्थिति बदले तो मन:स्थीति बदल लो! बस दुख सुख में बदल जाएंगा! सुख-दुख  कुछ नही
दोनो मन के ही तो समीकरण है........!

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